"गरीब होना एक अभिशाप नही बल्कि एक वरदान है, क्योकि गरीबी आपको दुनिया की किसी भी मुसीबत से लड़ने के लिए तैयार करती है"। ये कहना है थायरोकेयर टेक्नॉलोजी ( Thyrocare Technology ) के फाउंडर और सीईओ अरोकियास्वामी वेलुमनी ( Arokiaswamy Velumani ) का।
वेलुमनी का जन्म एक गरीब किसान के परिवार में हुआ था जहाँ उन्हें दो वक़्त की रोटी तक भी नसीब नही होती थी, लेकिन आज वो 3300 करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक है। उनकी कंपनी ने आज देश के 1000 शहरो में 1200 से ज्यादा फ्रैंचाइजी खोल दी है।
तो दोस्तों आइये जानते है वेलुमनी के संघर्ष की कहानी-
ए. वेलुमनी का जन्म तमिलनाडु के कोयंबटूर के एक गांव में हुआ था। घर पर गरीबी के कारण उन्हें दो वक़्त की रोटी भी नसीब नही होती थी। इसी कारण वेलुमनी का स्कुल में पढ़ाई से ज़्यादा ध्यान मिड डे मील पर रहता था।
वेलुमनी पढाई के लिए 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे। वेलुमनी के घरवाले उन्हें पढ़ाई छोड़कर घर चलाने के लिए कुछ काम करने के लिए कहते थे लेकिन वेलुमनी कुछ अलग करना चाहते थे। घर में पैसों के इतने कमी थी कि जब वेलुमनी ने केमेस्ट्री से ग्रैजुएट किया, तो कॉलेज का एक ग्रुप फोटो खरीदने के लिए उनके पास दो रुपए तक नहीं थे। इतनी प्रॉब्लम होने के बाद भी वेलुमनी ने अपनी पढ़ाई कभी नही छोड़ी और हर पल संघर्ष करते रहे।
ग्रैजुएशन के बाद उन्होंने कम से कम 60 कंपनियों में नौकरी के लिए इंटरव्यू दिए, लेकिन हर जगह उनके हाथ असफलता लगी फिर भी वेलुमनी ने हार नही मानी और 60 से ज्यादा कंपनियों में इंटरव्यू में फेल होने के बाद एक कैप्सूल बनाने वाली कंपनी में उनकी नौकरी लगी। यहां उन्होंने 150 रुपए सैलरी पर काम किया। लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने यह नौकरी भी छोड़ दी और निकल पड़े मुंबई की और।
जब ए. वेलुमनी मुंबई पहुंचे, तो उन्हें कई दिनों तक मेहनत करने के बाद भी कोई नौकरी नहीं मिली। लेकिन वो कहते है ना कि "जो मेहनत करते है उनके लिए कुछ भी असंभव नही" और आखिरकार उन्हें भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) में गजेटेड ऑफिसर की नौकरी मिल गई।
इसी दौरान उनकी शादी भी हो गई, वेलुमनी जी की पत्नी भी बैंक में सरकारी नौकरी करती थी। भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर में सभी तरह की सुविधाएं मिलते थी, यह काफी आराम का जॉब था। लेकिन एक कहावत है "कंफर्ट जोन डेंजर जोन" होता है। जहाँ आपको कुछ नया और चुनौतीपूर्ण काम करने को नही मिले, तो आपका निकलना ही बेहतर option है।
वेलुमनी ने भी यही किया। एक दिन उन्होंने किसी को बिना बताए यह जॉब छोड़ दी। जब उन्होंने अपनी पत्नी को जॉब छोड़ने और नया बिजनेस शुरू करने के बारे में बताया तो उनकी पत्नी ने भी उनका साथ देने के लिए नौकरी छोड़ दी।
इस तरह शुरुआत हुई थायरोकेयर टेक्नॉलोजी की। वेलुमनी जी ने 150 स्क्वायर फुट का गैराज किराए पर लिया और 1 लाख के निवेश से एक लैब शुरू की। केमेस्ट्री से ग्रैजुएट होने और अपनी मेहनत से वेलुमनी जी ने लैब को एक नया आयाम दिया। जो लैब 150 स्क्वायर फुट का गैराज से शुरू हुई थी उसका हेडक्वार्टर आज 4 लाख स्क्वायर फुट में फैला हुआ है। थायरोकेयर टेक्नॉलोजी के नाम से रजिस्टर होने के बाद पहले ही दिन कंपनी ने 35 करोड़ का कारोबार किया। आज कंपनी के भारत में लगभग 1200 आउटलेट है। और यह कंपनी 1000 से भी ज्यादा शहरो में काम कर रही है।
वेलुमनी जी की कुछ बाते हो आपको जाननी चाहिए -
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