Saturday, February 4, 2017

जाने फिंगरप्रिंट Technology के बारे में - Know About Fingerprint Technology History In Hindi

fingerprint technology hindi

दुनिया भर में रोजाना कई अपराध होते है और अपराधी कई बार पकड़ में भी नही आते है। Police को इन अपराधियो को पकड़ने के लिए काफी मेहनत करनी पडती है। Police इन अपराधियों को पकड़ने के लिए साइंस की कई सारी Technologies का इस्तेमाल करती है। इनमे से Fingerprint Technology काफी पॉपुलर है।
अपराधियो की पहचान के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
यह Technology बहुत Advanced है।

आइये इस टेक्नोलॉजी के बारे में जानते है - History of Fingerprint Technology In Hindi

इस Technology में हाथो की उंगलियों के पोरों के Print के द्वारा इन्सान पहचान की जाती है। फिंगरप्रिंट की इस प्रणाली को 100 साल पूरे हो चुके है।
फिंगरप्रिंट की इस Technology की शुरुआत कलकत्ता में हुई थी। दक्षिण बंगाल के पूर्व सेना प्रमुख सर एडवर्ड रिचर्ड हेनरी (Edward Henry) की पहल पर 12 जून 1897 को विश्व का पहला प्रिंट विभाग की स्थापना हुई थी। इनको इसका आईडिया जापान के एक डॉक्टर के शोध से आया था। इसी शोध के आधार पर इन्होंने यह तकनीक विकसित की थी।

What Is Fingerprint Technology In Hindi 

हर व्यक्ति की उंगलियों की छाप अलग अलग होती है। इसी आधार पर व्यक्ति विशेष की पहचान की जाती है।
क्या आप जानते है ? किसी भी व्यक्ति की उंगलियों के निशान दूसरे की उंगलियों के निशान से मेल नही खाते है।
जितने भी इंसान धरती पर जन्मे है उन सब की उंगलियों की Skin की संरचना भिन्न होती है। त्वचा की संरचना भिन्न है इसलिए निशान भी मेल नही खाते है।
जब भी कोई व्यक्ति अपराध करता है तो हड़बड़ी में अपनी उंगलियों के निशान छोड़ देता है। किसी भी चीज को पकड़ने से उस पर निशान बन जाते है।
किसी भी चीज से उंगलियों के निशान प्राप्त करने के लिए उस वस्तु पर विशेष किस्म का बारीक सफ़ेद पाउडर छिड़का जाता है जिससे निशान उभर आते है फिर इन निशानों की laboratories में पहचान की जाती है। विशेषज्ञ इन निशानों को किसी भी फॉर्म में ले सकते है जैसे वृत्त ,तीर या लहर।
भारत में इस टेक्नोलॉजी की भारी मांग को देखते हुए अमेरिका से Advanced मशीने आयात की गई है। ये फिंगर प्रिंट किट अत्याधुनिक है। इनके प्रत्येक किट में 6 तरह के पाउडर आते है। इनके अलावा फिंगरप्रिंट कम्परेटर (Comparator) भी आयात किये गए है। इन कम्परेटर की मदद से निशानों का तुलनात्मक अध्यययन किया जाता है। इन Advanced Kits की सहायता से Invisible Fingerprint को प्राप्त किया जाता है।
पुलिस से पकड़े जाने के डर से अपराधी कभी कभी अपने फिंगरप्रिंट्स को मिटाने की कोशिश करते है। जिससे ये फिंगरप्रिंट धुंधले हो जाते है। इन फिंगरप्रिंट्स को उठाना फोरेंसिक लैब वालो के लिए बहुत मुश्किल होता है।जिससे अपराधी कानून की गिरफ्त से बच निकलते है लेकिन अब भारतीय वेज्ञानिको ने ऐसी तकनीक
विकसित की है जिससे ये धुंधला गये फिंगरप्रिंट भी पहचान किये जा सकते है। इस तकनीक से यह फायदा है कि इससे 15 साल तक पुराने प्रिंट उठाये जा सकते है।

Phase Transfer Catalyst Technique -  
टेक

Phase Transfer Catalyst नामक तकनीक से पॉलिथीन से भी प्रिंट्स उठाये जा सकते है। इस तकनीक से कागज,शीशा,स्टील ,फर्नीचर इत्यादि से भी फिंगरप्रिंट उठाये जा सकते है
Phase Transfer Catalyst तकनीक का विकास Delhi University रसायन विज्ञान के शोधकर्ता डॉ जसजीत कौर ने Delhi University के ही प्रवक्ता डॉ जी एस सोढ़ी की सहायता से किया था।
इस तकनीक को विकसित करने की प्रेणना डॉ कौर को बहुचर्चित नैना साहनी हत्याकांड से मिली थी। हत्यारा अपनी पहचान छुपाने के लिए और फिंगरप्रिंट मिटाने के लिए अपनी कार को ही धो देता है। ऐसे फिंगरप्रिंट को 2 से 3 दिन में उठाना होता है। इसके बाद फिंगरप्रिंट धुंधले हो जाते है।
डॉ कौर ने ऐसी तकनीक विकसित करनी चाही जिससे वर्षो बाद भी फिंगरप्रिंट प्राप्त किये जा सके। डॉ कौर ने ऐसी तकनीक विकसित की जिससे नमी वाले स्थान से Prints उठाये जा सके। इनको इस तकनीक से लंबे समय के लिए सुरक्षित भी किया जा सकता है।
डॉ कौर ने Fingerprint प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल होने वाली स्याही में फ्लोरोसेंट (Florescent) प्रदार्थ का उपयोग किया जिससे फिंगर प्रिंट स्पष्ट रूप से उभर सके। जब इन प्रदार्थ पर पराबैंगनी किरणे पड़ती है तो ये चमक उठते है।
Fingerprint केसे बनते है -    How does Fingerprint Form Hindi Article 

Fingerprint तब बनते है जब किसी वस्तु पर हाथ या उंगलियां रखने पर उस वस्तु पर उंगलियों की छाप पड़ जाती है। ये छाप स्किन के पसीने से बनती है। मानव शरीर में उक्राइन ,एपोक्राइन और सिवेसियस नामक तीन ग्रन्थियां होती है जिनसे निकलने वाले पसीने से फिंगरप्रिंट बनते है।
हाथो में कई सारी ऐकाईन ग्रन्थियां होती है जिनसे निकलने वाले पसीने से हाथो की छाप वस्तुओं पर बनती है।
पसीने में कुछ रासायनिक प्रदार्थ भी होते है जैसे सोडियम और क्लोराइड आयन ,एमिनो एसिड,यूरिक एसिड, लोहा,मेगनीज,ताम्बा,पोटेशियम,मैग्नीशियम और कैल्शियम।
फिंगर प्रिंट बनाने के लिए पसीने के किसी भी रसायन का किसी दूसरे रसायनिक प्रदार्थ से मिश्रण बनाया जाता है। इन रासायनिक प्रदार्थो में सिल्वर नाइट्रेट, आयोडाइड आते है।
डॉ कौर ने Phase Transfer Catalyst तकनीक से पसीने में उपस्थित केल्सियम से फिंगरप्रिंट प्राप्त किये।

Fingerprints की तकनीक पर एक नया शोध आया है। इस तकनीक को 3डी मॉडल कहा गया है। मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर अनिल जैन ने मनुष्य के फिंगरप्रिंट का 3डी मॉडल बनाया है। इनके मुताबिक यह शोध इस तकनीक में एक बड़ा कदम है। इस तकनीक में फिंगर प्रिंट्स की रेखाओं को ज्यादा उभार दिया जाता है।
जिससे फिंगर प्रिंट्स की पहचान आसान हो जाती है।

दोस्तों आपको हमारा यह पोस्ट केसा लगा हमे जरुर बताइयेगा ...
और अधिक जानकारी के लिए हमे सब्सक्राइब करे 

2 comments: