Wednesday, March 8, 2017

फार्मिंग: पुदीना की खेती के बारे में - Information About Mentha Farming In Hindi


process of mentha farming

भारत में पुदीना यानी मेंथा (Mentha) की पांच प्रजातियां मेंथाल मिंट (Menthol Mint),पिपर मिंट (Peppermint), बरगामाट मिंट (Bergamot mint), गार्डेन मिंट (Gargen Mint) और स्पियर मिंट (spearmint) की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया का लगभग 73 फीसदी Mint का उत्पादन भारत में किया जाता है। जिसमे सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की है। 
मेंथा प्रजातियों के हरे साग से जल आसवन विधि द्वारा खुशबुदार तेल निकाला जाता है जिसमे सबसे ज्यादा मेंथाल मिंट होती है। तो दोस्तों जानते है मेथा कि खेती के बारे मे-

How can Start Mentha Farming In Hindi Article - 

मेंथा की खेती के लिए मिट्टी कैसी हो - Soil For Mentha Farming

  • Mentha की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी के साथ जिसका पीएच 6 से 7.5 हो अच्छी होती है। 
खेत को कैसे तैयार करे - How to prepare Farm for Mentha farming 

  • इस के लिए 2 से 3 बार मिट्टी पलटने वाले कल्टीवेटर (cultivator) से जुताई कर के मिट्टी भूरभरी और समतल बना लेनी चाहिए। 

खाद और उर्वरक का उपयोग - Manure and Fertilizer For Mentha

farming of mentha

  • रोपाई के 4 से 6 सप्ताह पहले 10 से 15 टन गोबर की खाद को अच्छी तरह खेत में मिलाए। 
  • रासायनिक उर्वकों का इस्तेमाल मिट्टी जांच से मिली रिपोर्ट के अनुसार करे। 
  • अच्छी उपज के लिए 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फ़ोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 20 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टर इस्तेमाल करना चाहिए। 
  • यह ध्यान रखने वाली बात है कि नाइट्रोजन को कुल 3 बार देना है पहली बार खेत के तैयारी के समय, दूसरी बार 35 से 40 दिनों पर और तीसरी 50 से 60 दिनों बाद। 

मेंथा की रोपाई (Transplantation) का समय और विधि - Process for Mentha Farming 

  • तैयार खेत में जब नर्सरी के पोधे 7 से 8 सेमी के हो जाए तो फरवरी और मार्च महीने में रोपाई करे। रोपाई कुछ इस तरह से करे कि पौधें से पौधें की दुरी 15 सेन्टीमीटर हो और लाइन से लाइन की दुरी 50 से 60 सेन्टीमीटर हो। रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर दे। 
सिंचाई केसे करे - Method Of Irrigation For Mentha In Hindi


how to process mentha farm
  • मेंथा में सिंचाई का ख़ास ध्यान रखना पड़ता है क्योकि अगर दीमक लगी मिट्टी है तो सिंचाई के अभाव में दीमक सक्रिय हो जाती है। 
  • दूसरी बात नमी काम होने के वजह से फसल ढंग से बढ़ नही पाती। जबकि पानी ज्यादा होने पर मेंथा की दश (साग) में तेल का फीसदी घट जाता है। 
  • पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करनी चाहिये और दूसरी 15 से 20 दिन के बाद या फिर जरूरत के मुताबिक सिंचाई करनी चाहिये। 
  • हर कटाई के बात सिंचाई करनी चाहिये परन्तु कटाई करने के 10 से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। इससे दश में तेल का परसेंट बढ़ जाता है। 
दीमक से केसे बचाव करे - How Tom Prevent Termites In Hindi
  • बलुई मिट्टी में दीमक मेथा कि जड़ो को काट देते है। जिससे पौधा सुख जाता है। इसके रोकथाम के लिए कार्बोफ्यूरोन ग्रेन्युर (Carbofuran) 20 से 24 किलोग्राम प्रति हैक्टर से रोपाई के समय दे और अगर खड़ी फसल में दीमक लग जाये तो 4 से 5 लीटर क्लोरोफायरीपास (Chlorpyrifos) प्रति हैक्टर सिचाई के पानी के साथ दे।
मेंथा में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम केसे करे - Afflictions of Mentha and How to Prevent Them 
  • जड़ गलन - जड़ गलन रोग के प्रकोप से पौधे की जड़े काली पड़ जाती है और जड़ो के ऊपर गुलाबी रंग के धब्बे पड़ जाते है। इस रोग की रोकथाम के लिए रोपाई से पहले इन पोधो के सकर्स को 2 ग्राम काब्रेडाजिम (Carbendazim) का प्रति लीटर पानी के घोल में 15 से 20 डुबो के रखे और उस के बाद 20 मिनिट तक छाया में सुखने दे। 
  • पर्णदाग - इस रोग में पौधे के पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते है और बाद में वो पीले होकर गिरने लग जाते हैं इस रोग के रोकथाम के लिए 75 फीसदी वाले मैकोजेब की 2 किलोग्राम मात्रा को 650 से 800 ग्राम पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए। 
कटाई कब करे - Cutting of Mentha 
  • मेंथा की पहली कटाई 100 से 150 दिन बाद करनी चाहिये और दूसरी कटाई पहली कटाई के 60 से 70 दिन बाद करनी चाहिये कटाई के लिए चमकती और तेज धुप अच्छी रहती है। 
उपज कितनी होती है - How Much Production of Oil From Mentha 
एक अनुमान के अनुसार 2 बार कटाई से प्रति हैक्टर में 220 से 260 लीटर तेल बनता है।

तो दोस्तों मेंथा यानी की पुदीना पर हमारा यह आर्टिकल केसा लगा ,हमे जरुर बताइयेगा और भी असी रोचक और ज्ञान की बातो के लिए हमे फॉलो करे ....

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